पटना:- रजत पटल पर ट्रेजडी क्विन के नाम से विख्यात मीना कुमारी, भारतीय सिनेमा जगत की बेहतरीन अदाकारा और इंसानों में से एक थीं। इनका मूल नाम महजबीन बनो था, जिन्होंने बेबी मीना के नाम से बाल कलाकार के रूप में भारतीय सिनेमा में काम करना शुरू किया था। बेहद जरूरतमंद घर की तीसरी लड़की महजबीन बड़ी होकर मीना कुमारी नाम से फ़िल्मों में कार्यरत हुईं और अपने 33 साल के फ़िल्मी सफ़र में इन्होंने सभी प्रमुख अभिनेताओं के साथ प्रमुख भूमिकाओं का निर्वाह बहुत ही शानदार तरीक़े से किया। एक समय उनका जलवा यह था कि एक से एक निर्माता, निर्देशक उनके साथ फ़िल्में करने के लिए उत्सुक रहते थे और कई सारी भूमिकाएँ इनको ध्यान में रखकर लिखी गईं, जिनमें कई स्त्री प्रधान फ़िल्में भी शामिल हैं। मीना कुमारी ख़ूबसूरती के साथ ही साथ अभिनय प्रतिभा की एक ऐसी मिसाल थीं, जिनका कोई जोड़ आज तक नहीं देखने को मिलता है। एक अदाकारा होने के साथ ही साथ मीना एक बेहतर इंसान और बहुत ही उम्दा शायरा भी थीं। बिना जान-पहचान के लोगों की मदद करना उनका शौक था तो वहीं उनकी शायरी उनके दिल के भीतर छुपे ज़ख्मों का आईना बनकर उभरती हैं। मीना एक बेहतरीन गायिका भी थीं, जो उनके द्वारा गाए उनके एल्बम आई राईट आई रिसाईट से साफ़ पता चलता है। इसके साथ ही साथ वो अपनी भूमिकाओं के लिए वस्त्र परिकल्पना और मुख सज्जा भी ख़ुद करती थीं। बेहद दुःख भरा व्यक्तिगत जीवन और उसके ऊपर शराब की लत ने मीना कुमारी को समय से बहुत पहले ही इस दुनिया से छीन लिया लेकिन वो कहते हैं न कि ज़िन्दगी लम्बी से अर्थवान होना ज़्यादा आवश्यक है। मीना की ज़िन्दगी छोटी ही सही लेकिन उन्होंने इस छोटी सी अवधी में जो रचा वो अपने-आप में न केवल एतिहासिक है बल्कि अनमोल और अतुलनीय भी है। बैजूबावरा, साहब बीबी और गुलाम, दिल अपना प्रीत पराई, आरती, मैं चुप रहूंगी, दिल एक मंदिर, मेरे अपने, आज़ाद, आरती, काजल, फूल और पत्थर और पाकीजा उनकी शानदार फ़िल्मों हैं, जिनमें उनके अभिनय कौशल के साथ ही साथ सुन्दरता का दीदार बाख़ूबी किया जा सकता है। अपने अभिनय के लिए चार बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार जीतने और इस पुरस्कार के लिए बारह बार नाम दर्ज़ होने वाली और किसी भी ब्यूटी उत्पादन का विज्ञापन (लक्स ब्यूटी बार) करनेवाली भारतीय सिनेमा की पहली और एकलौती अभिनेत्री का नाम है – मीना कुमारी, जिनकी आकस्मिक मृत्यु 31 मार्च 1972 को हुई थी।
फ़िल्म लेदरफेस से एक बाल कलाकार के रूप में कार्य करनेवाली मीना कुमारी को सबसे पहले वर्ष 1953 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘परिणीता’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ‘फ़िल्मफेयर’ पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष 1954 में फ़िल्म ‘बैजू बावरा’ के लिए उन्हें ‘फ़िल्मफेयर’ के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद मीना कुमारी को ‘फ़िल्मफेयर’ पुरस्कार के लिए लगभग 8 वर्षों तक इंतज़ार करना पड़ा और वर्ष 1963 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘साहिब बीबी और ग़ुलाम’ के लिए उन्हें ‘फ़िल्मफेयर’ मिला। इसके बाद वर्ष 1966 में फ़िल्म ‘काजल’ के लिए भी मीना कुमारी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के ‘फ़िल्मफेयर’ पुरस्कार से सम्मानित की गईं। जब तक कार्यरत रहीं अपनी संवाद अदायगी का विशेष लहज़ा रखनेवाली मीना ने सिनेमा जगत में बतौर अभिनेत्री राज किया और वो अपने चाहनेवालों के दिलों में अभी भी ज़िन्दा हैं।
इन्हीं मीना कुमारी की याद में उन्हें श्रद्धांजलि और अर्दांजलि स्वरूप हाउस ऑफ़ वेराइटी और पटना (बिहार) की चर्चित नाट्य संस्था दस्तक ने चार दिन का “मीना-उत्सव” का आयोजन किया है। यह आयोजन 28 मार्च से 31 मार्च तक चलेगा, जिसमें मीना कुमारी की तीन बेहतरीन फ़िल्में साहब बीबी और गुलाम, बैजूबावरा और पाकीजा का प्रदर्शन हाउस ऑफ वेराइटी के बड़े पर्दे पर और उनके जीवन और रचनाकर्म पर आधारित दस्तक, पटना की बहुचर्चित नाट्य प्रस्तुति “चांद तन्हा आसमां तन्हा” का मंचन निर्धारित है। ज्ञातव्य है कि इस नाटक का मंचन पटना सहित कलकत्ता, गोवा, लखनऊ आदि शहरों में कुशलता से संपन्न किया जा चुका है। मीना कुमारी को समर्पित मीना उत्सव नामक यह आयोजन अपने आप में न केवल अनूठा है बल्कि अभी तक एकलौता भी है; जिसका विवरण निम्न हैं –
28 मार्च 2025 को फ़िल्म साहब बीबी और गुलाम
इस आयोजन में प्रथम दिन 28 मार्च को मीना कुमारी अभिनीत चर्चित फ़िल्म साहब बीबी और गुलाम का प्रदर्शन निर्धारित है। प्रसिद्ध बंगला उपन्यासकार बिमल मित्रा के चर्चित उपन्यास पर आधारित इस फ़िल्म का निर्माण गुरुदत्त ने तथा इसके निर्देशक हैं – अबरार अल्वी। फ़िल्म में मीना कुमारी के अलावा गुरुदत्त, रहमान और वहीदा रहमान ने प्रमुख भूमिका का निर्वाह किया है तथा फ़िल्म का अमर संगीत दिया है हेमन्त कुमार ने।
29 मार्च 2025 को फ़िल्म बैजू बावरा
मीना कुमारी अभिनीत चर्चित फ़िल्म फ़िल्म बैजू बावरा का प्रदर्शन। यह फ़िल्म प्रसिद्ध भारतीय संगीतज्ञ बैजू बावरा के जीवन पर आधारित है। फ़िल्म के निर्देशक हैं विजय भट्ट और मुख्य कलाकार हैं भारत भूषण और मीना कुमारी। इस फ़िल्म में नौशाद का संगीत अतुलनीय है और जिसके कुछ गानों में प्रसिद्द शास्त्रीय गायक उस्ताद आमिर खान ने अपनी गायकी से अमर कर दिया था। फिर रफ़ी की आवाज़ में गाए गीत ने तो इस फ़िल्म का समा ही बांध दिया था।
30 मार्च 2025 को नाटक चांद तन्हा आसमां तन्हा
पटना की प्रसिद्ध नाट्य संस्था दस्तक का चर्चित नाटक चाँद तन्हा आसमां तन्हा का मंचन होगा। मीना कुमारी के जीवन और रचनाकर्म पर आधारित, चर्चित रंगकर्मी पुंज प्रकाश द्वारा लिखित, परिकल्पित और निर्देशित इस नाटक में पटना की युवा अभिनेत्री विदुषी रत्नम ने अभिनय किया है। इस नाटक का प्रदर्शन पिछले एक साल से लगातार किया जा रहा है और इसका सफ़ल मंचन पटना सहित देश के कई अन्य शहरों के महत्वपूर्ण नाट्य-महोत्सवों में हुआ है और वर्तमान समय में यह हिंदी रंगमंच की चर्चित एकल नाट्य प्रस्तुतियों में से एक है, जिसका प्रदर्शन गोवा, कलकत्ता, लखनऊ, पटना आदि शहरों में हो चूका है।
31 मार्च 2025 को फ़िल्म पाकीज़ा
यह फ़िल्म मीना कुमारी की बहुचर्चित फ़िल्म पाकीज़ा का प्रदर्शन होगा। फिल्म का निर्देशन क़माल अमरोही ने किया था जो मुख्य नायिका मीना कुमारी के पति भी थे। फिल्म लगभग 14 वर्षों में बन कर तैयार हुई और आज यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा के कल्ट क्लासिक फ़िल्मों में से एक है।
इसके साथ ही हाउस ऑफ़ वेराइटी परिसर में मीना कुमारी से जुड़े पोस्टर, उनकी कविताओं और फ़िल्मों के पोस्टर प्रदर्शनी के साथ ही साथ मीना कुमारी की कविताओं और उनकी शायरी का डिजिटल वाचन और गायन भी सुनाया जाएगा। इस डिजिटल पाठ में वर्तमान समय में सिनेमा और रंगमंच पर कार्यरत प्रसिद्द अभिनेत्रियों सादिया सिद्धकी, दिव्या जगदले और अन्नुप्रिया ने आवाज़ दी है। वहीं ख़ुद मीना कुमारी और मशहूर गायिका डॉ सीमा घोष की आवाज़ों में भी कुछ ग़ज़लों, नज़्मों और कविताओं को सार्वजनिक रूप से सुनाने का अवसर इस आयोजन में है। पोस्टर प्रदर्शनी की दौरान यह डिजिटल पाठ चलता रहता है। हाउस ऑफ वेराइटी और दस्तक का यह आयोजन अपने आप में अनूठा है। ज्ञातव्य हो कि शहर की कला संस्कृति को समृद्ध करने के लिए हम इस प्रकार के आयोजन लगातार करते रहते हैं, जिसमें सुधी दर्शकों और श्रोताओं की गरिमामय उपस्थिति होती है।
पटना हाउस ऑफ़ वेराईट में मीना उत्सव का आयोजन
