रोहतास टाॅपर होने के बावजूद गुमनाम हुई बभनी की चित्रा

kushmediaadmin
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करगहर से मो०शमशाद आलम:–शिक्षा , लगन , परिश्रम किसी परिचय का मोहताज नही होती है । अगर दिल मे कुछ करने का जज्बा हो तो पूरी कायनात उसे सफल कराने मे जूट जाता है । कठिन से कठिन रूकावटें भी अपना घुटने टेक देती है । ऐसा ही मामला करगहर प्रखंड के बभनी पंचायत के बभनी गांव का है। जहाँ बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का रिजल्ट घोषित होने के दौरान बभनी गांव के एक गरीब किसान व सिलाई करने वाली की बेटी पूरे रोहतास जिला मे 474 अंक लाकर दूसरे स्थान पर व प्रखंड मे टाॅप रही । प्रतिभावान बेटी चित्रा कुमारी के इस रिजल्ट से परिवार सहित पूरा गांव फूला नही समा पा रहा था। सभी ग्रामीणों के जबान पर उस बेटी के रिजल्ट की बातें ही हो रही थी। परिजन हितैषी व अन्य लोग चित्रा कुमारी को मुँह मिठा करा रहे थे।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति मे 474 अंक लाकर हुई उत्तीर्ण

किसान पिता अमलेश कुमार वर्मा उर्फ मंटू सिंह व माता प्रभावती देवी की बेटी चित्रा कुमारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिती मे रोहतास जिले मे टाॅपर रहने के बाद भी उनका हौसलाअफजाई करने उसके घर अभी तक कोई नही पहुंचा है। जबकि स्थानीय मुखिया वरूण सिंह ने उच्च विद्यालय मे पहुँच कर उसे डायरी, पेन से सम्मानित किया। ऐसे मे अन्य प्रखंडो मे उत्तीर्ण हुये छात्र-छात्राओं को उनके हौसलाअफजाई व अग्रतर शिक्षा के कामना करने हेतू स्थानीय विधायक, अधिकारी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी व अन्य लोग पहुँच कर प्रोत्साहित एक रहे है। जो करगहर प्रखंड के बभनी के चित्रा कुमारी व चित्रा जैसी बेटीयों के आत्मसम्मान पर ठेस पहुँचने जैसा प्रेरित होता है।

शिक्षा मे टाॅपर होने के बाद भी गुमनाम हुई बभनी की चित्रा

केंद्र सरकार व बिहार सरकार के द्वारा बेटियों के शिक्षा के लिए तरह -तरह के प्रोत्साहन राशि, छात्रवृत्ति, साईकिल योजना व अन्य तरह के योजना उपलब्ध कर रही है । जहाँ शिक्षा को लेकर बड़े बड़े फैसले सरकार ले रही है। ऐसे मे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति मे 474 अंक प्राप्त करने के बाद रोहतास मे दूसरा स्थान व प्रखंड टाॅपर होने के बाद भी चित्रा कुमारी गुमनाम हो गई। क्या चित्रा को उसके उत्तीर्ण होने के बाद भी उसे कोई हौसलाअफजाई नही करेगा ? क्या करगहर विधान सभा मे व करगहर प्रखंड मे विधायक, अधिकारी , जनप्रतिनिधि समाजसेवी व अन्य लोगो की संख्या कम हो गई है ? क्या चित्रा व चित्रा जैसी बेटी महज केवल कागज के एक पन्ने मे सिमट कर रह जायेगी ? सवाल अब भी बरकरार है । ऐसे मे लोगों को शिक्षा के प्रति सोच बदलना होगा। जिससे बच्चों को शिक्षा मे बढा़वा मिल सके।

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