पटना:- फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया के द्वारा डिप्लोमा इन फार्मेसी विरोधी एवं नियमबिरुद्ध कार्य करने को लेकर डिप्लोमा फार्मेसी ऑर्गेनाइजेशन छात्र संघ बिहार के द्वारा राजकीय फार्मेसी संस्थान अगमकुंआ के मुख्य द्वार से लेकर नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुख्य द्वार तक हाथ में बैनर पोस्टर लिए PCI के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सभी डिप्लोमा फार्मेसी एवं फार्मेसी छात्र विरोध प्रदर्शन किया और फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया का रजिस्टर अनिल मित्तल का पुतला दहन किया।
इस मौके पर संघ के अध्यक्ष अरविंद कुमार चौधरी ने सचिव,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से pci रजिस्टर अनिल मित्तल को अभिलंब इस्तीफा की मांग की है और PCI रजिस्टर पर बी फार्मा एवं एम फार्मा डिग्री धारी को मदद पहुंचाने और बिहार में फार्मासिस्ट के बहाली को प्रभावित करने और डिप्लोमा इन फार्मेसी के विरुद्ध कार्य करने और पक्षपात करने का आरोप लगाया है
आपको बताते चले कि पूरा मामला बिहार में 2473 पदों पर फार्मासिस्ट पद की बहाली से है जिसमें अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता भर्ती नियमावली के अनुसार अभ्यर्थी को इंटरमीडिएट (विज्ञान )डिप्लोमा इन फार्मेसी में उत्तीर्ण एवं बिहार फार्मेसी काउंसिल से रजिस्ट्रीकृत होना आवश्यक है एवं वैसे बी फार्मा एवं एम फार्मा डिग्री धारी अभ्यर्थी भी इस पद के योग्य होंगे जिनके पास डिप्लोमा इन फार्मेसी की योग्यता हो यानी कि डिप्लोमा इन फार्मेसी अनिवार्य आवश्यक शैक्षणिक योग्यता है।
बहाली की प्रक्रिया चल रही थी सभी डिप्लोमा फार्मासिस्ट आवेदन कर रहे थे इसी बीच फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया के निबंधन सह सचिव अनिल मित्तल बिहार तकनीकी सेवा आयोग और राज्य सरकार को पत्र लिखकर बी फार्मा, एम फार्मा एवं फार्मा डी डिग्री धारी को भी बहाली में शामिल करने की मांग कर दी जो कि माननीय उच्च न्यायालय पटना के खंडपीठ के द्वारा दिए गए निर्णय जिसमें फार्मासिस्ट पद के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी ही अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता का अवमानना है, इसके लिए मेरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय पटना में अवमानना वाद याचिका भी दायर की गई।
फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया एक वैधानिक संस्था है, इसका मुख्य कार्य फार्मेसी शिक्षा में सुधार, संस्थानों के गुणवत्ता जांच कर मान्यता देना फार्मासिस्टों का निबंधन करवाना इसके विपरीत फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया के रजिस्टर पत्र लिखकर बी फार्मा को मदद पहुंचाने और बहाली को प्रभावित करने का प्रयास किया जब अपने प्रयास में सफल नहीं हो सके तब अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर हाईकोर्ट पटना में राज्य सरकार के बनाए गए फार्मासिस्ट भर्ती नियमावली के बाद डाटा को ही चुनौती दे डाली और बी फार्मा, एम फार्मा, फार्मा डी, डिग्री धारी को बहाली में शामिल करने और इस बहाली को रद्द करने की मांग की, सभी पशुओं की सुनवाई पूर्ण कर अंततः माननीय उच्च न्यायालय पटना के खंडपीठ द्वारा 72 पन्नों में आदेश दिया गया जिसमें स्पष्ट किया गया कि फार्मासिस्ट पद के लिए योग्यता तय करने का अधिकार सिर्फ नियोक्ता यानी कि राज्य सरकार को है और फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा लिखे गए पत्र को पूरी तरह से अनुचित बताया गया और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए फार्मासिस्ट भारतीय नियमावली को संविधान सम्मत करार दिया और याचिका खारिज कर दी।
वहीं इस विरोध प्रदर्शन में डिप्लोमा फार्मासिस्ट ऑर्गेनाइजेशन छात्र संघ बिहार के अध्यक्ष अरविंद कुमार, सुबोध कुमार, ऋषि राज, अभिज्ञान, सूर्यकांत, रंजन कुमार गुप्ता, संदीप कुमार, चेतन,आशीष ,माधव, अभिनंदन ,बंटी ,राजा ,अमन ,मनीष, पृथ्वीराज समेत अन्य छात्र मौजूद थे।