राजनीतिक नैतिकता से ऊपर लालू? आरजेडी में न लोकतंत्र बचा, न मर्यादा : जद (यू)
पटना 24 जून 2025
जद (यू0) प्रदेश प्रवक्ता डॉ0 निहोरा प्रसाद यादव, प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा एवं प्रदेश प्रवक्ता डॉ0 अनुप्रिया ने संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा और कहा कि आरजेडी में ना तो राजनीतिक नैतिकता बची है और ना ही आंतरिक लोकतंत्र। उन्होंने कहा कि सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को 13वीं बार पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना ये साबित करता है कि राष्ट्रीय जनता दल के लिए न संविधान मायने रखता है, न लोकतांत्रिक मर्यादाएं और न ही नैतिकता।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के आरजेडी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से ये स्पष्ट हो गया है राष्ट्रीय जनता दल लालू काल के रास्ते पर ही चलेगा जहां कुशासन, भ्रष्टाचार और खराब कानून व्यवस्था की स्थिति थी। लालू प्रसाद यादव के मामले में न्यायपालिका ने अपना काम किया और उन्हें चारा घोटाले में सजा सुनायी जिसके बाद वो पंचायत स्तर तक का चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए। आरजेडी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी भ्रष्टाचार के मामले पर गंभीर नहीं है। सजायाफ्ता व्यक्ति का आरजेडी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना जनता का विश्वास और राजनीतिक नैतिकता के खिलाफ है।
पार्टी प्रवक्ताओं ने आरजेडी से सवाल पूछते हुए कहा कि हमेशा से दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय को अपना वोट बैंक समझने वाले राष्ट्रीय जनता दल को क्या इन समुदायों से कोई भी व्यक्ति नहीं मिला जिन्हें वो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकें। उन्होंने कहा कि सच्चाई ये है कि आरजेडी का मतलब ही होता है ‘लालू-राबड़ी डायनेस्ट’ और इसलिए लालू प्रसाद यादव एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने परिवार के आगे कुछ सोच ही नहीं सकते। आरजेडी का या फैसला दर्शाता है कि यह पार्टी बिहार के विकास के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के हितों के लिए काम करती है जहां परिवार के सदस्यों की भूमिका ही सर्वोपरी है। तेजस्वी यादव की ‘नई सोच नया बिहार’ वाली बात पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आरजेडी का युवा नेतृत्व खोखला है और राजद का असली चेहरा भ्रष्टाचार, परिवारवाद एवं कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाना है।
इस दौरान पार्टी प्रवक्ताओं ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से अहम सवाल पूछेः
ऽ क्या राष्ट्रीय जनता दल में अब ऐसा कोई नेता नहीं बचा, जो एक सजायाफ्ता नेता की जगह ले सके? क्या यह दल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल नहीं खड़ा करता?
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ऽ तेजस्वी यादव आप एक युवा नेता होने का दावा करते हैं, फिर भी पार्टी में वही ‘परिवारवादी और दागी नेतृत्व’ को क्यों बरकरार रखा गया? क्या आपकी राजनीति भी उन्हीं पुरानी परंपराओं की गुलाम है?
ऽ लालू यादव चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं, फिर भी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को आप उचित ठहराते हैं? क्या यह राजनीति में भ्रष्टाचार को ‘संस्थागत संरक्षण’ देना नहीं है?
ऽ क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे फैसले लोकतंत्र और राजनीतिक शुचिता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ पूरा देश भ्रष्टाचार मुक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर राजद जैसे दल लोकतंत्र का मज़ाक बनाकर सज़ायाफ्ता लोगों को सर्वोच्च पदों पर बैठा रहे हैं। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार की जनता अब जागरूक है और ऐसे दिखावटी नेतृत्व को बार-बार नकारती रही है, आगे भी नकारेगी।